Wednesday, October 15, 2025
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Navratri 9th Day 2022: महानवमी कल, जानें मां सिद्धिदात्री की पूजन विधि, शुभ रंग, भोग, मुहूर्त, मंत्र व आरती

Maha Navami 2022, Maa Siddhidatri: महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस दिन कन्या पूजन का भी विधान है। जानें नवमी तिथि से जुड़ी सभी जरूरी बातें-

Navratri 9th Day 2022, Maha navami Pujan : नवरात्रि का समापन नवमी तिथि से होता है। इस साल शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि 4 अक्टूबर, मंगलवार को है। नवरात्रि के नवम दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उन्हें यश, बल और धन भी प्रदान करती हैं।

शास्त्रों में मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है। मां सिद्धिदात्री महालक्ष्मी के समान कमल पर विराजमान हैं। मां के चार हाथ हैं। मां ने हाथों में शंख, गदा, कमल का फूल और च्रक धारण किया है। मां सिद्धिदात्री को माता सरस्वती का रूप भी मानते हैं। नवमी तिथि पर कन्या पूजन भी किया जाता है। अगर आप भी नवमी पर कन्या पूजन करने जा रहे हैं तो जान लें शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें-

पूजा- विधि-

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम भी लगाएं।
मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं।
मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती अवश्य करें।

नवमी के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त- 04:38 ए एम से 05:27 ए एम।
अभिजित मुहूर्त- 11:46 ए एम से 12:33 पी एम।
विजय मुहूर्त- 02:08 पी एम से 02:55 पी एम।
गोधूलि मुहूर्त- 05:52 पी एम से 06:16 पी एम।
अमृत काल- 04:52 पी एम से 06:22 पी एम।
रवि योग- पूरे दिन।

मां सिद्धिदात्री का भोग-

मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा अतिप्रिय है। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री को नवमी पर इन चीजों का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं।

पूजा मंत्र-

सिद्धगन्‍धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।

मां सिद्धिदात्री आरती-
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।

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