लड़़किया खुद को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए अपने भीतर छुपे कौशल को माध्यम बनाए – सुश्री परमार
▪︎जेंडर संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित
परिवार में संतान पैदा होने पर मनाया जाने वाला उत्सव लड़के एवं लड़की दोनो के जन्म पर एक समान होना चाहिए। लड़कियो को भी समाज में उतना ही सम्मान दिया जाए जितना की लड़को को दिया जाता है। यह बात मध्यप्रदेश बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं की ब्रांड अम्बेसडर सुश्री मेघा परमार ने महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा शासकीय कन्या महाविद्यालय में आयोजित जेंडर संवेदीकरण कार्यशला में कही।
कार्यशाला में सुश्री परमार ने कहा बेटे बेटियों की एक समान को एक समान शिक्षा और एक समान पोषण मिलना चाहिए। उन्होंने सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ से कहा कि लिंग भेद समाप्त करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। वे लोगो को जागरूक करें कि बेटा-बेटी एकसमान होते है।
लड़कियां खुद को मजबूत बनाए
कार्यशाला में सुश्री परमार ने कहा
कि लड़किया अपनी सुरक्षा के लिए खुद को शारीरिक एवं मानसिक रूप से मजबूत बनाएं। वे खुद को किसी भी तरह से कमजोर न समझे। जो भी काम करें वह पूरे आत्मविश्वास के साथ करें। उन्होंने कहा कि परिवार और समाज में अपनी अलग पहचान बनाने तथा निर्णय लेने के लिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना जरूरी है। लड़किया अपने भीतर छुपे कौशल को पहचाने और उसे अपनी आय का जरिया बनाएं। सुश्री परमार ने लड़कियों से कहा कि उन्हें आने वाले मासिक धर्म एक सामान्य प्रक्रिया है। इसे लेकर किसी तरह का कोई संकोच न करें और परिवार में इस विषय पर बात करें। इन दिनों वे स्वच्छता के लिए परंपरागत चीजों का उपयोग न करते हुए वर्तमान में उपलब्ध पेड्स का उपयोग करें। कार्यक्रम में कन्या महाविद्यालय प्राचार्य श्री जीएल जैन ने भी संबोधित किया। महिला बाल विकास के कार्यक्रम अधिकारी श्री प्रफुल्ल खत्री ने महिला बाल विकास द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे मे जानकारी दी।
