Wednesday, October 15, 2025
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उज्जैन न केवल भारत का केंद्र रहा है बल्कि भारत की आत्मा का भी केंद्र है : पीएम मोदी

उज्जैन-बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में श्री महाकाल लोक के उद्घाटन के बाद जय श्री महाकाल का जयकार लगाते हुए पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत की। पीएम मोदी ने उज्जैन की पवित्र भूमि पर आए साधु-संतों तथा अन्य सभी लोगों का स्वागत किया। पीएम ने कहा कि उज्जैन की यह ऊर्जा, यह उत्साह, यह आभा, आनंद, महाकाल की महिमा से महाकाल लोक में साधारण कुछ भी नहीं। सबकुछ अलौकिक और असाधारण है।इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि उज्जैन के बारे में हमारे यहां कहा गया है कि प्रलयो न बाधते, तत्र महाकाल पूरी। जिसका मतलब है कि महाकाल की नगरी प्रलय के प्रहार से भी मुक्त है। हजारों वर्ष पूर्व जब भारत का भौगोलिक स्वरूप आज से अलग रहा होगा तब से यह माना जाता रहा है कि उज्जैन भारत के केंद्र में है। एक तरह से ज्योतिषीय गणनाओं में उज्जैन ना केवल भारत का केंद्र रहा है, बल्कि यह भारत की आत्मा का भी केंद्र रहा है।प्रधानमंत्री ने कहा कि सफलता के शिखर तक पहुंचने के लिए ये जरूरी है कि राष्ट्र अपने सांस्कृतिक उत्कर्ष को छुए, अपनी पहचान के साथ गौरव से सर उठाकर खड़ा हो। उज्जैन के क्षण-क्षण में पल-पल में इतिहास सिमटा हुआ है। कण-कण में अध्यात्म समाया हुआ है। उन्होंने बताया कि यहां कालचक्र का 84 कल्पों का प्रतिनिधित्व करते 84 शिवलिंग हैं। यहां चार महावीर हैं, 6 विनायक हैं, आठ भैरव हैं, अष्टमातृकाएं हैं, नवग्रह हैं, दस विष्णु हैं, ग्यारह रुद्र हैं, 12 आदित्य हैं, 24 देवियां हैं और 88 तीर्थ हैं।पीएम मोदी ने कहा कि बाणभट्ट जैसे कवियों के काव्यों में आज भी हमें यहां की संस्कृति का चित्रण मिलता है। आजादी के अमृत काल में भारत ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व जैसे पंचप्राण का आहवान किया है। इस वजह से अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रह है। काशी में विश्वनाथ धाम भारत की सांस्कृतिक आध्यात्मिक राजधानी का केंद्र बन रहा है। चार धाम प्रोजेक्ट के जरिए हमारे चारों धाम ऑल वेदर रोड से जुड़ रहे हैं। इतना ही नहीं, पहली बार करतारपुर साहिब कॉरिडोर खुला है। साथ ही हेमकुंड साहिब रोपवे से जुड़ने जा रहा है।मोदी ने कहा कि शास्त्रों में लिखा है शिवम् ज्ञानम् जिसका अर्थ है शिव ही ज्ञान है। और ज्ञान ही शिव है। शिव के दर्शन में ब्रह्मांड का सर्वोच्च दर्शन है। यह दर्शन ही शिव का दर्शन है। मैं मानता हूं कि हमारे ज्योतिर्लिंगों कोा विकास भारत के अध्यात्मिक ज्योति का विकास है। भारत का यह सांस्कृतिक दर्शन एक बार फिर शिखर पर चढ़कक शिव का मार्गदर्शन करने को तैयार हो रहा है। भगवान महाकाल एकमात्र ऐसा शिवलिंग है जो दक्षिण मुखी है। इसकी भस्मारती पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। हर भक्त भस्मारती जरूर करना चाहता है। जो शिव स्वयंभूति विभूषणा हो , जो शिव खुद को भस्म को धारण करने वाले हैं, वह नश्वर और अविनाशी है। जहां महाकाल है, वहां काल खंडों की सीमाएं नहीं होती हैं।पीएम ने कहा कि अतीत में हमने देखा है कि प्रयास हुए कि सत्ता बदले। भारत का शोषण हुआ। उज्जैन की ऊर्जा को भी नष्ट करने के प्रयास हुए। हमारे ऋषियों ने भी कहा कि महाकाल शिव की शरण में मृत्यु भी हमारा क्या कर लेगा। लेकिन उसके बाद भी उज्जैन फिर पुनर्जीवित हुआ और फिर उठ खड़ा हुआ। हमने फिर अमरत्व की विश्वव्यापी घोषणा कर दी। भारत ने फिर महाकाल के आशीष पर काल के कपाल पर अस्तित्व का शिलालेख लिख दिया। आज एक बार फिर आजादी के इस अमृतकाल में अमर अवंतिका भारत के सांस्कृतिक अमरत्व की घोषणा कर रही है।उन्होंने कहा कि श्री महाकाल लोक में यह परंपरा उतने ही प्रभावी ढंग से कला और शिल्प के द्वारा उकेरी गई है। यह पूरा मंदिर प्रांगण शिवपुराण की कथाओं के आधार पर तैयार किया गया है। आप यहां आएंगे, महाकाल के दर्शन केसाथ ही आपको महाकाल की महिमा और महत्व के भी दर्शन होंगे। पंचमुखी शिव, उनके डमरू, सर्प, त्रिशुल, चंद्र और सप्तऋषि भी दिखेंगे। इनके भी भव्य स्वरूप यहां स्थापित है। यह वास्तु, उसमें ज्ञान का समावेश श्री महाकाल लोक को सार्थकता को बढ़ाता है।

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