केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा विभाग तथा अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज नई दिल्ली में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की पहली बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि सभी मंत्रालयों और विभागों में हिंदी का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए, क्योंकि हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक पहचान का एक उभरता हुआ प्रतीक भी है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि दक्षिण भारत के कर्मचारी तेजी से हिंदी का उपयोग बढ़ा रहे हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि हिंदी अब संचार की एक अखिल भारतीय भाषा के रूप में उभर रही है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार में हिंदी की उपस्थिति को सशक्त बनाने के लिए इसे आधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ एकीकृत करना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि एआई-संचालित अनुवाद उपकरणों के उपयोग से हिंदी सामग्री के प्रसार, अनुवाद और व्याख्या की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप वैज्ञानिक ज्ञान अब अधिक सार्थक व सुलभ रूप में व्यापक जनसमूह तक पहुंच रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि सभी मंत्रालयों की वेबसाइटें हिंदी में भी समान रूप से सुलभ होनी चाहिए, ताकि नागरिकों को अपनी मातृभाषा में वैज्ञानिक एवं तकनीकी जानकारी सहज रूप से उपलब्ध हो सके। उन्होंने यह भी घोषणा की है कि हिंदी के प्रचार-प्रसार और प्रयोग में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों को मंत्रालय द्वारा सम्मानित तथा पुरस्कृत किया जाएगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भाषाई विविधता के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं का संरक्षण, संवर्धन और प्रोत्साहन भी हिंदी के प्रसार जितना ही आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास में देश के विविध भाषाई परिदृश्य की सशक्त ध्वनि प्रतिबिंबित होनी चाहिए। हिंदी और क्षेत्रीय भाषाएं मिलकर नवाचार, संचार तथा राष्ट्र निर्माण के लिए एक प्रभावशाली एवं समावेशी माध्यम बन सकती हैं।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) कर्मचारियों के लिए हिंदी आधारित उपकरणों और संसाधनों का विकास एवं उपलब्धता सुनिश्चित कर रहा है, जिससे वैज्ञानिक संचार के क्षेत्र में हिंदी की भूमिका पहले से अधिक सशक्त हो रही है। उन्होंने कहा कि सभी मंत्रालयों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कार्यकुशलता को और सुदृढ़ करने के लिए सरकारी कार्यप्रणाली में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
बैठक के दौरान, समिति के सदस्यों ने सुझाव दिया कि विभागीय गतिविधियों में हिंदी के प्रयोग को और व्यापक बनाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि वैज्ञानिक एवं तकनीकी सामग्री का हिंदी में अधिकाधिक प्रसार किया जाए, जिससे जनसामान्य के लिए इसकी सुगमता बढ़ाई जा सके। सदस्यों ने हिंदी सामग्री के प्रचार-प्रसार में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के अधिकतम उपयोग तथा हिंदी में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने की भी सिफारिश की।
इस कार्यक्रम में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश एस. गोखले, एएनआरएफ के सीईओ डॉ. शिवकुमार कल्याणरमन के साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।








