इंदौर। इंदौर के न्यायनगर की कृष्णबाग कॉलोनी में प्रशासन ने भले ही 15 मकान तोड़कर कार्रवाई रोक दी हो, लेकिन अभी भी शेष मकानों पर कार्रवाई का संकट टला नहीं है। प्रशासन ने लोगों को मकान खाली करने के लिए छह अगस्त तक का समय दिया है।इसके बाद प्रशासन फिर कार्रवाई करेगा। कॉलोनी के रहवासियों को बगैर अनुमतियों के सस्ते में भूखंड खरीदने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। भले ही वर्षों से यह लोग यहां पर रहते आ रहे हैं, लेकिन न्यायालय ने इस जमीन को श्रीराम बिल्डर की जमीन माना है और रहवासियों के मकानों को अतिक्रमण बताया है।प्रशासन जिस तत्परता से अब इन्हें हटाने की कार्रवाई कर रहा है, निर्माण के दौरान प्रशासन, नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी मूक दर्शक बनकर नहीं बैठे होते और तभी कार्रवाई हो जाती, तो यह प्रक्रिया इतनी आगे नहीं बढ़ती। बरसात में लोगों को अपने आशियाने उजड़ने की नौबत भी नहीं आती।
रहवासियों को उम्मीद थी कि नहीं होगी कार्रवाई
न्यायनगर की 7.87 एकड़ जमीन का विवाद कई वर्षों से न्यायालय में चल रहा है। श्रीराम बिल्डर के पक्ष में फैसला आने के बाद अब जमीन खाली कराने की कार्रवाई चल रही है। कृष्णबाग कालोनी के रहवासियों को फरवरी से नोटिस दिए जा रहे हैं।
एक सप्ताह पहले मकानों पर निशान भी लगाए गए। इसके बाद भी रहवासियों ने मकान खाली नहीं किए। रहवासियों को भरोसा था कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों के घर तोड़ने की हिम्मत प्रशासन नहीं करेगा। कार्रवाई के दौरान लोग रोते-बिलखते अपनी मजबूरी बताते रहे। अब बारिश के बीच लोगों को किराए के मकान खोजने पड़ रहे हैं।
दूसरे दिन मलबे से बरसते पानी में निकाली सामग्री
शुक्रवार को प्रशासन ने कार्रवाई कर 15 मकानों को तोड़ा था। शनिवार को इन मकानों के मलबे में दबा सामान लोग निकालते रहे। बरसते पानी में मलबे में दबा सामान निकालकर पास के घरों में ही रखा जा रहा है।
जिनके मकान टूटे हैं, उन्हें पडोस के मकानों में ही आसरा दिया। इनके खाने-पीने की व्यवस्था भी पडोसी कर रहे हैं। इनके सामने अब किराये का मकान ढूंढने की समस्या उत्पन्न हो गई। वर्षों की जमा पूंजी लगाकर मकान बनाए थे, जो अब जमींदोज हो चुके हैं।