Monday, October 27, 2025
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कृषि- संबंधित मंत्रालयों के लिए बजट घोषणाओं पर वेबिनार आयोजित

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने  ‘कृषि एवं सहकारी समितियों’ पर बजट के बाद के वेबिनार को संबोधित किया। यह केंद्रीय बजट 2023 में की गई घोषणाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए विचार-विमर्श करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा आयोजित बजट के बाद 12 वेबिनारों की श्रृंखला के तहत दूसरा वेबिनार है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले 8-9 वर्षों की तरह इस बजट में भी कृषि को बहुत महत्व दिया गया है। कृषि बजट आकार 2014 में 25,000 करोड़ रुपये से कम था जिसे अब बढ़ाकर 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक कर दिया गया है। श्री मोदी ने कहा, ‘हाल के वर्षों में हर बजट को गांवों, गरीबों और किसानों का बजट कहा जाता है।’ समापन सत्र में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बजट के बाद वेबिनार आयोजित करने संबंधी प्रधानमंत्री श्री मोदी के दृष्टिकोण से देश लाभान्वित हो रहा है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने वेबिनार की शुरुआत में अपने मुख्य संबोधन कहा कि आजादी के बाद हमारा कृषि क्षेत्र लंबे समय तक अभावों से जूझता रहा। हम अपनी खाद्य सुरक्षा के लिए दुनिया पर निर्भर थे लेकिन हमारे किसानों ने हमें न केवल आत्मनिर्भर बनाया है बल्कि आज उनकी वजह से हम निर्यात करने में भी सक्षम हैं। आज भारत कई प्रकार के कृषि उत्पादों का निर्यात कर रहा है। हमने किसानों के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच को आसान बना दिया है। यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि चाहे आत्मनिर्भरता हो या निर्यात, लक्ष्य चावल एवं गेहूं तक ही सीमित नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिए, वर्ष 2021-22 में दालों के आयात पर 17,000 करोड़ रुपये और मूल्यवर्धित खाद्य उत्पादों के आयात पर 25,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसके अलावा  वर्ष 2021-22 में खाद्य तेलों के आयात की लागत 1.5 लाख करोड़ रुपये रही। तमाम वस्‍तुओं के आयात पर 2 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसका मतलब साफ है कि इतने सारे पैसे बाहर चले गए। यदि हम इन उत्‍पादों में भी आत्‍मनिर्भर बनते हैं तो यह रकम हमारे किसानों तक पहुंच सकती है। पिछले कुछ वर्षों से इन क्षेत्रों को आगे ले जाने के लिए बजट में कदम उठाए गए हैं। हमने एमएसपी में वृद्धि की, दालहन के उत्पादन को बढ़ावा दिया और खाद्य प्रसंस्करण पार्कों की संख्या बढ़ाई है। इसके अलावा, खाद्य तेलों के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने के लिए मिशन मोड में काम चल रहा है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि जब तक हम कृषि क्षेत्र की समस्‍याओं का समाधान नहीं करते, तब तक समग्र विकास के लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता है। आज भारत के कई क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। हमारे ऊर्जावान युवा इसमें काफी सक्रियता से भाग ले रहे हैं। कृषि में उनकी भागीदारी कम है, लेकिन इसमें आगे बढ़ने के महत्व और संभावनाओं से भली भांति अवगत हैं। निजी नवाचार और निवेश के बीच खाई को पाटने के लिए इस वर्ष के बजट में कई घोषणाएं की गई हैं। उदाहरण के लिए, कृषि क्षेत्र में ओपन स्रोत आधारित प्लेटफार्मों को बढ़ावा देना। हमने ओपन सोर्स प्‍लेटफॉर्म के तौर पर डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर स्‍थापित है। यह ठीक वैसा ही है जैसा यूपीआई का ओपन प्‍लेटफॉर्म है जिसके जरिये आज डिजिटल लेनदेन हो रहे हैं। आज, जिस प्रकार डिजिटल लेनदेन में क्रांति हो रही है, उसी प्रकार एग्री-टेक डोमेन में भी निवेश और नवाचार की अपार संभावनाएं सृजित की जा रही हैं। इसमें लॉजिस्टिक्स को बेहतर करने की क्षमता है। इसमें आम लोगों के बाजार तक पहुंचाने के लिए इसे सुगम बनाने का अवसर है। इसमें तकनीक के जरिये ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा देने का अवसर है। साथ ही साथ हमारे युवा सही व्यक्ति तक सही सलाह समय पर पहुंचाने के लिए काम कर सकते हैं। निजी मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं उसी तरह स्थापित की जा सकती हैं जैसे चिकित्सा क्षेत्र में प्रयोगशाला काम करती है। हमारे युवा अपने नवाचार के जरिये सरकार और किसान के बीच सूचना का पुल बन सकते हैं। वे बता सकते हैं कि किस फसल से अधिक आमदनी हो सकती है। वे खेती का अनुमान लगाने के लिए ड्रोन का उपयोग कर सकते हैं। वे नीति बनाने में मदद कर सकते हैं। आप किसी भी जगह मौसम में बदलाव के बारे में रियल टाइम जानकारी भी प्रदान कर सकते हैं। इस क्षेत्र में युवाओं को करने के लिए बहुत कुछ है। सक्रिय तौर पर भाग लेने से किसानों को मदद मिलने के अलावा उन्हें आगे बढ़ने का अवसर भी मिलेगा।

श्री मोदी ने कहा कि इस साल के बजट में एग्री-टेक स्टार्टअप के लिए एक्‍सीलेरेटर फंड के प्रावधान के बारे में एक महत्वपूर्ण घोषणा की गई है। हम न केवल डिजिटल इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर का निर्माण कर रहे हैं बल्कि हम वित्‍त पोषण के लिए भी तैयारी कर रहे हैं। अब हमारे युवा उद्यमियों की बारी है, उन्हें उत्साह के साथ आगे बढ़ना चाहिए और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहिए। यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि 9 साल पहले देश में बहुत कम कृषि स्टार्टअप थे लेकिन आज उनकी संख्‍या 3,000 से अधिक है। फिर भी, हमें तेज गति से आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि भारत की पहल पर इस वर्ष को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया गया है। मोटे अनाज को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिलने का मतलब यह है कि हमारे छोटे किसानों के लिए वैश्विक बाजार तैयार हो रहा है। देश ने इस बजट में भी मोटे अनाज को ‘श्री अन्न’ नाम दिया है। जिस तरीके से श्री अन्न को बढ़ावा दिया जा रहा है उससे पता चलता है कि यह छोटे किसानों को काफी लाभान्वित करेगा। इस क्षेत्र में ऐसे स्टार्टअप के विकास की काफी गुंजाइश है जो किसानों के लिए वैश्विक बाजार तक पहुंच को आसान बना सके।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारी क्षेत्र में एक नई क्रांति हो रही है। अब तक यह कुछ राज्यों और कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित था लेकिन अब इसका विस्तार देश भर में किया जा रहा है। बजट में सहकारी क्षेत्र को महत्वपूर्ण कर राहत दी गई है। नई सहकारी समितियों को कर दरों में नरमी का लाभ मिलेगा। सहकारी समितियों द्वारा 3 करोड़ रुपये तक की नकद निकासी पर टीडीएस लागू नहीं होगा। सहकारी क्षेत्र में हमेशा एक मान्‍यता रही है कि अन्य कंपनियों मुकाबले उनके साथ भेदभाव किया जाता है। लेकिन बजट में इस अन्याय को हटा दिया गया है। महत्वपूर्ण निर्णय के तहत वर्ष 2016-17 से पहले किए गए भुगतान पर चीनी सहकारी समितियों द्वारा कर छूट दी गई है। इससे उन्हें 10,000 करोड़ रुपये मिलेंगे। उन क्षेत्रों में जहां सहकारी समितियां मौजूद नहीं हैं, डेयरी एवं मत्स्यपालन से संबंधित सहकारी समितियों से छोटे किसानों को काफी फायदा होगा। विशेष तौर पर मत्स्यपालन में हमारे किसानों के लिए अपार संभावनाएं मौजूद हैं। पिछले 8-9 वर्षों में देश में मछली का उत्पादन करीब 70 लाख मीट्रिक टन बढ़ गया है। वर्ष 2014 से पहले इतना उत्‍पादन बढ़ाने में लगभग तीस साल लग गए थे। इस बजट में, एक नए उप-घटक के तौर पर पीएम मत्‍स्‍य संपदा योजना के लिए 6,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इससे मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला के साथ-साथ बाजार को भी बढ़ावा देगा और मछुआरों एवं छोटे उद्यमियों के लिए नए अवसर पैदा होंगे। हम प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और रासायन आधारित खेती को कम करने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। पीएम प्रणाम योजना और गोबर्धन योजना से इसमें काफी मदद मिलेगी।

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समापन सत्र में, केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि बजट के बाद वेबिनार के आयोजन से जमीनी वास्तविकता को समझना आसान हो गया है। अच्छी सरकार वह होती है जो आशंकों को शून्‍य तक कम कर देती है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में सरकार इस काम को भलीभांति कर रही है। विभिन्न मंचों पर विचार-परामर्श किए जा रहे हैं और इसमें अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी होगी। इससे कार्यान्वयन की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। इस बजट में कई नई पहल की गई है। बजट काफी अच्छा और दूरगामी है। इसमें कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं।

विभिन्न सत्रों में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री परषोत्‍तम रूपाला, राज्यमंत्री श्री संजीव कुमार बाल्यान और डॉ. एल. मुरुगन, कृषि एवं किसान कल्‍याण राज्यमंत्री श्री कैलाश चौधरी एवं सुश्री शोभा करंदलाजे और सहकारिता राज्‍यमंत्री श्री बी. एल. वर्मा ने भी संबोधित किया। कृषि के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, एग्री-टेक स्टार्टअप्स के लिए एक्सीलेरेटर फंड, सेल्फ-सस्टेनिंग हॉर्टिकल्चर क्लीन प्लांट प्रोग्राम, ‘श्री अन्न’ के लिए भारत को वैश्विक केंद्र बनाना, सहकारिता के जरिये समृद्धि और मत्स्यपालन क्षेत्र के विशेषज्ञों में मूल्य श्रृंखला दक्षता को मजबूत करना आदि विषयों पर वेबिनार आयोजित किए गए। इस दौरान सचिव, अतिरिक्त सचिव, संयुक्त सचिव, अन्य अधिकारी एवं विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

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