कोरोना काल के दौरान सफल टीकाकरण अभियान की वजह से भारत में 34 लाख से अधिक जिंदगियां बचाने में सफलता मिली। इसके अलावा टीकाकरण और समय-समय उठाए गए अन्य कदमों की वजह से देश को 18.3 अरब डालर के नुकसान से भी बचाया जा सका।स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट ‘हीलिंग द इकोनमी: एस्टीमेटिंग द इकोनामिक इंपैक्ट आफ इंडियाज वैक्सीनेशन एंड रिलेटेड मेजर्स’ में यह तथ्य उजागर किया गया है। शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने इस रिपोर्ट को जारी किया। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में पहले लाकडाउन से लेकर टीकाकरण तक और इसके बीच कृषि, एमएसएमई, गरीब, मजदूर व अन्य वर्गों के लिए समय-समय पर जारी पैकेज के प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है।भारत में अचानक लागू किए गए कड़े लाकडाउन के ऊपर भले ही विपक्षी दल सवाल उठाते रहे हों, लेकिन स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसार, अकेले इसकी वजह से मार्च और अप्रैल के बीच एक लाख से अधिक जिंदगियां बचाने में सफलता मिली। इसकी वजह से भारत में कोरोना की पहली लहर 175 दिन में पीक पर पहुंची थी, जबकि रूस, कनाडा, फ्रांस, इटली और जर्मनी जैसे देशों में 50 दिन के भीतर पीक आ गया था।रिपोर्ट के अनुसार, सफल टीकाकरण अभियान सिर्फ जिंदगियां बचाने में ही सफल नहीं रहा, बल्कि इससे भारत 18.3 अरब डॉलर के नुकसान से भी बच गया। यदि टीकाकरण अभियान सफलतापूर्वक नहीं चलता तो भारत को यह नुकसान उठाना पड़ता। रिपोर्ट के अनुसार, टीकाकरण अभियान पर होने वाले खर्च को घटा दें तो भी भारत को इस अभियान से 15.42 अरब डॉलर का शुद्ध लाभ हुआ।रिपोर्ट में कोरोना काल में मोदी सरकार की हर योजना के आर्थिक प्रभावों का आकलन किया गया है।मनसुख मांडविया के अनुसार, कोरोना के दौरान समग्र सरकार और समग्र जनता की अप्रोच के साथ काम किया गया। समग्र अप्रोच की वजह से टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट, टीकाकरण व कोरोना उचित व्यवहार का पालन सफलतापूर्वक किया गया।प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया के विकसित देशों के साथ ही न सिर्फ देश में कोरोना का टीका विकसित करने में सफल रहा, बल्कि उसका बड़े पैमान पर उत्पादन कर 220 करोड़ से अधिक डोज लगाने में सफल रहा। उन्होंने कहा कि 97 प्रतिशत एक डोज और 90 प्रतिशत से अधिक लोगों को दोनों डोज के साथ ही लगभग 30 प्रतिशत लोगों को सतर्कता डोज के साथ भारत का टीकाकरण अभियान दुनिया में सबसे बड़ा और सबसे सफल कहा जा सकता है।