कोयला ब्लॉकों के आवंटन में एक राज्य सरकार को वरीयता देने का आरोप कोयला मंत्रालय के संज्ञान में आया है, जो गलत है और तथ्यों पर आधारित नहीं है।
किसी एक राज्य को वरीयता देने का कोई विशेष नियम या गुंजाइश नहीं है। अत: किसी एक राज्य को वरीयता या तरजीह देने की बात, जैसा कि दावा किया जा रहा है, आधारहीन और भ्रामक है।
तथ्य नीचे दिए गए हैं:
वर्ष 2015 में जीएमडीसी (गुजरात खनिज विकास निगम लिमिटेड) को दो लिग्नाइट ब्लॉक आवंटित किए गए थे जिसके बारे में निम्नलिखित विवरण है:
भरकंदम लिग्नाइट ब्लॉक 10.08.2015 को आवंटित किया गया
पानंध्रो एक्सटेंशन लिग्नाइट ब्लॉक 10.08.2015 को आवंटित किया गया
इसी तरह तीन कोयला ब्लॉक एससीसीएल, जो तेलंगाना सरकार का एक पीएसयू है, को आवंटित किए गए:
ओडिशा में नैनी कोयला ब्लॉक 13.08.2015 को आवंटित किया गया
तेलंगाना में पेंगडप्पा कोयला ब्लॉक 15.12.2016 को आवंटित किया गया
ओडिशा में नया पतरापाड़ा कोयला ब्लॉक 30.10.2019 को आवंटित किया गया।
तेलंगाना में एक कोयला खदान तादिचेरला-I भी 31.08.2015 को तेलंगाना स्टेट पावर जेनरेशन लिमिटेड को आवंटित की गई
इस ओर ध्यान दिलाना आवश्यक है कि एससीसीएल, जो कि तेलंगाना सरकार का एक पीएसयू है, को आवंटित उपर्युक्त तीन कोयला खदानों में से एक पेंगडप्पा, और नया पतरापाड़ा कोयला ब्लॉकों को एससीसीएल द्वारा केंद्र सरकार की माफी योजना के तहत सरेंडर कर दिया गया है, जिसके तहत सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा कोयला खदानों को सरेंडर करने पर लगाए जाने वाले जुर्माने को केंद्र द्वारा माफ कर दिया गया है। वर्ष 2015 में तेलंगाना सरकार के एक सार्वजनिक उपक्रम एससीसीएल को आवंटित नैनी ब्लॉक को अभी भी तेलंगाना सरकार द्वारा परिचालन में नहीं लाया गया है, हालांकि भारत सरकार ने सभी तरह की मंजूरी प्राप्त करने में मदद की है।
कोयला ब्लॉकों की नीलामी खान और खनिज (विकास व नियमन) अधिनियम, 1957 और कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के माध्यम से की जा रही है जिन्हें भारत सरकार ने खदानों के नियमन और खनिज विकास के लिए पारित किया है। इन दोनों ही अधिनियमों में खदानों के आवंटन की पारदर्शी व्यवस्था की गई है।
18 जून, 2020 को वाणिज्यिक खनन के शुभारंभ के बाद से ही नीलामी का सबसे पारदर्शी तरीका अपनाया जा रहा है जिसके तहत कोयले/लिग्नाइट की बिक्री के लिए सभी कोयला/लिग्नाइट ब्लॉकों को नीलामी के माध्यम से दिया गया है। वाणिज्यिक खनन शुरू करने के बाद कोई भी कोयला/लिग्नाइट ब्लॉक किसी भी राज्य या केंद्रीय पीएसयू को आवंटन के माध्यम से नहीं दिया गया है।




