मध्य प्रदेश में सीबीआई की टीम नर्सिंग काउंसिल ऑफिस पहुंची है। जहां प्रदेश के 37 कॉलेजों में हुए धांधली की जांच की जाएगी। हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई की टीम जांच कर रही है। नर्सिंग कॉलेजों में हो रहे फर्जीवाडे के बाद 37 कॉलेजों के संचालकों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। जिसके बाद हाईकोर्ट ने कहा कि दस्तावेजों में इतनी धांधली तो फर्जीवाड़ा कितना होगा। सीबीआई टीम ने नर्सिंग ऑफिस में आने-जाने पर प्रतिबंध लगाया हैं।37 नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाड़े की जांच मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने CBI को सौंप दी गई थी। जिसके बाद अब इस पर सियासत भी हुई थी। मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई तीन महीनें में नर्सिंग कॉलेजों की जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द मामले में नर्सिंग काउंसिल ने कॉलेजों से जानकारी मंगवाई थी। जिसके बाद 93 नर्सिंग कॉलेजों में से 80 की अस्थाई रूप से मान्यता बहाल की गई। ऐसा बताया जा रहा है कि नियमों का पालन और दस्तावेज जमा नहीं करने के कारण कार्रवाई की गई थी।प्रदेश में 241 नर्सिंग कॉलेज की मान्यता रद्द की गई थी। और फिर रद्द होने के बाद कार्रवाई पर सवाल उठ रहे थे। नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द करने पर छात्रों का भविष्य खतरे में आ गया था। साथ ही डिग्री को लेकर छात्रों में चिंता का माहौल बना हुआ था। नवीनीकरण के लिए कॉलेजों ने जरूरी दस्तावेज नहीं दिए थे। ऐसे में दस्तावेज देने और निरीक्षण के बाद दोबारा मान्यता बहाल की गई है।मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल ने प्रदेश में सत्र 2019-20 में 520 कालेजों को संबद्धता दी थी। और इन कॉलेजों में ग्वालियर के 35 कॉलेज भी शामिल है। नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े को लेकर न्यायालय में एक जनहित याचिका प्रस्तुत की गई थी। जिसकी सुनवाई के आधार पर 35 में से एक कॉलेज की संबद्धता के रिकार्ड की जांच कराई गई। कोर्ट में सुनवाई के बाद फर्जीवाड़े की जांच ग्वालियर बेंच ने CBI को सौंप दी।फर्जी नर्सिंग कॉलेजों से संबंधित मामले को लेकर लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने जनहित याचिका लगाई थी। जिस पर बेंच में सुनवाई के दौरान यह बताया गया था कि विगत वर्ष खुले हुए 94 नर्सिंग कॉलेजों को इस वर्ष की अनुमति नहीं दी गई। इसके अलावा 93 नर्सिंग कॉलेजों को भवन संबंधी नोटिस का जवाब ना देने के कारण मान्यता को निलंबित किया गया था।