Tuesday, October 21, 2025
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लड़कियों के सरनेम का नहीं होता इस्तेमाल, एक जैसा नाम होने पर जोड़ते हैं यूनीक शब्द,भोपाल में शासकीय स्कूल की अनोखी कहानी,

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक अनोखें स्कूल की कहानी सामने आई है, जिसकी लड़कियों को लेकर बनाए गए नियमों की वजह से तारीफ हो रही है। इस स्कूल में लड़कियों की जाति को छिपाने के लिए उनका नाम नहीं लिखा जाता है। अगर किसी लड़की का नाम एक जैसा है, तो उसके नाम में कोई यूनिक शब्द को जोड़ा जाता है ताकि दोनों की पहचान आसानी से हो जाए। इन सबके पीछे की वजह ये है कि यहां पर लड़कियों को शक्ति स्वरूपा के तौर पर माना जाता है।दरअसल यह कहानी भोपाल के गार्गी शासकीय आवासीय आदर्श क्या संस्कृत विद्यालय की है। भोपाल के बरखेड़ी इलाके में स्थित इस स्कूल में 210 लड़कियां पढ़ाई करती हैं। नवरात्रि के त्योहार के समय यहां पर हर रोज पूजा होती है, जो पूरे स्कूल कैंपस में भक्तिमय माहौल बना देती है। स्कूल में भरे जाने वाले एग्जाम फॉर्म और डॉक्यूमेंट्स पर जरूर सरनेम लिखा जाता है। लेकिन कभी भी किसी छात्रा को उसके सरनेम से नहीं बुलाया जाता है।जानकारी के अनुसार स्कूल प्रबंधन ने बताया कि सरनेम का इस्तेमाल नहीं करने के पीछे की वजह अध्यात्म से जुड़ा हुआ है। प्रबंधन का मानना है कि हर एक लड़की का व्यक्तित्व उसका अपना होता है। पुराणों के अनुसार भी लड़कियों को शक्ति स्वरूपा माना गया है और उनकी पूजा की जाती है। लड़कियां खुद में ही एक ऊर्जा होती हैं और किसी भी लड़की का अस्तित्व ही उनकी पहचान है।इसे लेकर स्कूल के डायरेक्टर ने कहा कि संस्कृत को वेद पुराण और ब्राह्मण के वर्चस्व वाली भाषा के तौर पर देखा जाता था। स्कूल का मानना है कि संस्कृत पर से पुरुषों के वर्चस्व को तोड़ना चाहिए। इस स्कूल में सभी वर्गों से आने वाली लड़कियां पढ़ाई करती हैं। और यहां पढ़ने वाली छात्राएं संस्कृत के अलावा इंग्लिश और हिंदी भी अच्छी तरह से बोलती और लिखती हैं।आगे उन्होंने कहा कि सभी लड़कियां जब संस्कृत में संभाषण करती हैं तो लोग अचंभित हो जाते हैं। स्कूल की 5 लड़कियों का एक मल्टी नेशनल कंपनी में चयन भी हुआ है। 12वीं से आगे की पढ़ाई कंपनी ही कराएगी।

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