Wednesday, October 15, 2025
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भोपाल के जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल प्रबंधन के विरोध में डॉक्टरों का प्रदर्शन ,अनिश्चितकाल हड़ताल की दी चेतावनी,

राजधानी भोपला का एक मात्र जवाहर लाल नेहरू कैंसर अस्पताल अनियमितता और गड़बड़ी के चलते लंबे समय से विवादों में है। ऐसे में शनिवार को अस्पताल प्रबंधन ने मेडिकल डॉयरेक्टर डॉक्टर प्रदीप कोलेकर को बिना कारण बर्खास्त कर दिया। जिसके बाद डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ इसके विरोध में आ गए। उन्होंने 48 घंटे में अपनी दो मांगे पूरी नहीं करने पर अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर बैठने की चेतावनी दी।

इसे लेकर अस्पताल की मेडिकल सुप्रीटेंडेंट ने बताया कि प्रबंधन की तरफ से एचआर ने मेडिकल डॉयरेक्टर को शनिवार को एक पत्र देकर साइन करने को कहा। इसमें पहले से लिखा था कि मेरा स्वास्थ्य खराब रहता है, इसलिए मैं अपने पद से इस्तीफा देता हूं। डॉयरेक्टर ने इसका विरोध किया और हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। इसे लेकर एचआर ने उनको कहा गया कि यदि आप इस पर हस्ताक्षर नहीं करते है तो आपको बर्खास्त कर दिया जाएगा।

वहीं शनिवार को जब डॉयरेक्टर अस्पताल आए तो एचआर ने उनको बर्खास्त करने का पत्र दे दिया। पता चलते ही इसके विरोध में अस्पताल के सभी स्टाफ आ गए। अस्पताल प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ प्रदर्शन किया। हालांकि इस दौरान किसी मरीज को परेशानी ना हो इसका पूरा ख्याल रखा गया।

प्रदर्शनकर्मी ने बताया कि हम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, भोपाल कमिश्नर, गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन, भोपाल कलेक्टर को ज्ञापन दिया है। इसमें हमने मेडिकल डॉयरेक्टर को तुरंत बहाल करने और साथ ही एचआर मैनेजर को बर्खास्त करने की मांग उठाई है।

जानकारी के अनुसार जवाहर लाल नेहरू कैंसर अस्पताल लंबे समय से चर्चा में है। अस्पताल का संचालन एक समिति करती है, और इसकीअध्यक्ष आशा जोशी है। अस्पताल प्रबंधन पर दवा कंपनियों से डिस्काउंट लेने, मरीजों को प्रिंट रेट पर देने, नौकरियों में लेने-देन, समिति के सदस्यों के रिश्तेदारों को मोटे वेतन पर नौकरी पर रखने और उनके वेतन बढ़ाने जैसे कई सारे गंभीर आरोप लगे है।

बताया जा रहा है कि जवाहर लाल नेहय कैंसर अस्पताल में अभी 130 से 140 मरीज भर्ती है। और ओपीडी करीब 250 मरीज प्रतिदिन है। अस्पताल के निर्माण के लिए जमीन सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई गई है । साथ ही कुछ समय पहले तक सरकार की तरफ से अस्पताल को प्रति वर्ष 65 लाख रुपए का अनुदान भी मिलता था। जोकि अब बंद हो चुका है।

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