Wednesday, October 15, 2025
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ईदगाह हिल्स पर बनेगा नर्सिंग स्टाफ को स्किल ट्रेनिंग देने वाला देश का पहला संस्थान

सरकारी अस्पतालों और निजी चिकित्सा संस्थानों में अक्सर मरीजों की देखभाल को लेकर शिकायतें बनी रहतीं हैं। डॉक्टरों के अलावा मरीजों की तकलीफ दूर करने में अस्पतालों के नर्सिंग स्टाफ का अहम रोल होता है। लेकिन कई बार नर्सिंग स्टाफ के पास डिग्री होने के बावजूद अपेक्षाकृत स्किल की कमी होती है। नर्सिंग स्टाफ को प्राइमरी लेवल हेल्थ फेसिलिटी से लेकर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, टर्सरी केयर सेंटर के काम में दक्ष करने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑफ नर्सिंग एंड मिडवायफरी एजुकेशन की स्थापना की जाएगी। भोपाल में यह देश में पहला सेंटर होगा जहां नर्सिंग स्टाफ को हर स्किल की ट्रेनिंग देकर पेशेंट केयर में ट्रेंड किया जाएगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि देश में ऐसा कोई डेडिकेटेड इंस्टीट्यूट नहीं हैं जहां नर्सिंग स्टाफ को पढ़ाई पूरी होने के बाद स्किल ट्रेनिंग दी जाती हो। करीब 25 करोड़ रूपए की लागत से भोपाल में यह सेंटर बनाया जाएगा। मप्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग इस सेंटर के लिए लंबे समय से प्रयासरत थे।
आमतौर पर नर्सिंग स्टूडेंट्स डिग्री पूरी होने के बाद सरकारी या निजी अस्पतालों में ड्यूटी करने लगते हैं। हॉस्पिटल के जिस विभाग में उनकी नियुक्ति होती है वहां काम करते-करते उन्हें तकनीकी नॉलेज हो जाती है। लेकिन अब डॉक्टरों की तरह नर्सिंग स्टाफ भी विषय विशेषज्ञ के तौर पर दक्ष हो सकेंगे।
अफसरों की मानें तो देश में अधिकांश नर्सिंग संस्थान दक्षिण भारत में हैं। मप्र में देश के करीब 9 फीसदी नर्सिंग स्कूल हैं। लेकिन इनमें ज्यादातर निजी नर्सिंग कॉलेज हैं। ऐसे में कई बार मप्र के निजी नर्सिंग कॉलेजों की पढ़ाई और क्वालिटी ऑफ एजुकेशन पर सवाल उठते रहते हैं।
एमपी में अभी 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में करीब 7 हजार नर्सिंग कर्मचारी काम कर रहे हैं। जल्द ही प्रदेश में 10 और नए मेडिकल कॉलेज खुलने जा रहे हैं। ऐसे में करीब 6500 नए नर्सिंग स्टाफ की जरूरत पडे़गी। अफसर कहते हैं चूंकि मेडिकल कॉलेज टर्सरी केयर सेंटर होते हैं लिहाजा यहां पदस्थ किए जाने वाले नर्सिंग स्टाफ को अपने काम में दक्ष होना जरूरी है।
मौजूदा व्यवस्था को देखें तो आमतौर पर नर्सिंग कर्मचारी अपनी तैनाती के बाद अस्पताल में अपने सीनियर्स के मार्गदर्शन में काम करते हुए प्रशिक्षित होते जाते हैं। लेकिन इसमें कई बार नर्सिंग स्टाफ के ट्रेंड न होने से मरीज की जान पर बन आती है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में नर्सिंग स्टाफ की ट्रेनिंग के लिए सिमुलेशन लैब बनेगी जहां डमी पर नर्सिंग कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। ऐसे में हर चूक और खामी को विशेषज्ञ डमी पर प्रेक्टिस कराकर सुधरवा सकेंगे इसमें मरीजों की जान का जोखिम खत्म हो जाएगा।
इस संस्थान में नर्सिंग स्टाफ के साथ ही एमबीबीएस स्टूडेंट्स को भी ट्रेनिंग दी जाएगी। पहले साल 20 प्रशिक्षण सत्र होंगे इसके बाद दूसरे, तीसरे और चौथे साल में 30-30 प्रशिक्षण सत्र और पांचवे साल में 50 ट्रेनिंग सेशन आयोजित किए जाएंगे। इसमें स्वास्थ्य विभाग के कम्युनिटी हेल्थ वर्कर्स को 40 सत्रों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण में एमबीबीएस स्टूडेंट्स भी शामिल हो सकेंगे। MBBS स्टूडेंट्स के लिए पहले साल में 10 सत्र, दूसरे साल में 13 सत्र, तीसरे साल में 10 सत्र और चौथे साल में 25 सत्र होंगे। इसके साथ ही एमबीबीएस इंटर्न स्टूडेंट्स के 25 सत्र होंगे।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर नर्सिंग एंड मिडवायफरी एजुकेशन की सिमुलेशन लैब भोपाल के सरकारी नर्सिंग कॉलेज में बनाई जाएगी। भोपाल के ईदगाह हिल्स पर स्थित टीबी अस्पताल परिसर में करीब 35 हजार स्क्वायर फीट में इस सेंटर का भवन बनाया जाएगा। सेंटर की बिल्डिंग बनने तक इसे गांधी मेडिकल कॉलेज के सरकारी नर्सिंग कॉलेज की बिल्डिंग में संचालित किया जाएगा। एक बार में 100 स्टूडेंट्स प्रशिक्षण ले सकेंगे। इस सेंटर के लिए 27 पदों की भी मंजूरी दी गई है।लंबे समय से मप्र के निजी नर्सिंग कॉलेजों की पढ़ाई और यहां से डिग्री लेने वाले छात्रों को लेकर कई तरह के सवाल उठते रहे हैं। ग्वालियर चंबल क्षेत्र में नर्सिंग कॉलेजों का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया यहां सिर्फ कागजों में चलने वाले नर्सिंग कॉलेज डिग्रियां बांट रहे थे। ऐसे में इन संस्थानों से डिग्रियां लेकर सरकारी और निजी संस्थानों में नौकरी करने वाले नर्सिंग कर्मचारियों को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में निजी नर्सिंग संस्थानों से पास आउट स्टूडेंट्स को भी कौशल प्रशिक्षण दिया जा सकेगा।

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