Wednesday, October 15, 2025
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गहलोत सरकार की कमजोरी को बनाएगी हथियार,कांग्रेस में कलह के बीच बड़ी तैयारी में जुटी भाजपा,

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले ही कांग्रेस में अस्थिरता आ गई है। राजस्थान के पॉलिटिकल ड्रामा के बीच अभी यही स्पष्ट नहीं है कि आखिर राजस्थान में मुख्यमंत्री कौन रहेगा। ‘एक व्यक्ति एक पद’ के सिद्धांत का पालन किया जाए तो अशोक गहलोत को या तो मुख्यमंत्री पद छोड़ना होगा या फिर पार्टी अध्यक्ष की उम्मीदवारी। फिलहाल अभी तक गहलोत ने अपना नामांकन नहीं किया है। सवाल यह है कि कांग्रेस के भीतर की कलह के बीच भाजपा क्या कर रही है?

भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा कि यह कांग्रेस के अंदर का मामला है और इसमें पार्टी कोई दखल नहीं देने जा रही है। वहीं राजस्थान में सरकार पर मंडराने वाला खतरा भी कोई नया नहीं है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खराब संबंध पहले भी दिक्कत खड़ी कर चुके हैं। नाम ना जाहिर करने की शर्त पर भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा, 2023 में विधानसभा के चुनव होने हैं जिसको लेकर भाजपा पूरी तैयारी कर रही है। हालांकि अगर समय से पहले कोई स्थिति बनती है और मध्यावधि चुनाव की नौबत आती है तो भी पार्टी तैयार है।

उन्होंने कहा, ‘पार्टी कभी भी चुनाव के लिए तैयार है। हम बूथ लेवल पर पार्टी को मजबूत करने के प्रयास में लगे हुए हैं। बाकी जैसी स्थिति होगी वैसा फैसला किया जाएगा।’ बता दें कि 2020 में भी ऐसी स्थितियां बन गई थीं कि लग रहा था पायलट अपने समर्थन वाले विधायकों को लेकर अलग हो जाएंगे। दावा यह भी किया गया था कि पायलट 19 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल होने की धमकी दे रहे हैं। हालांकि भाजपा और पायलट खेमे ने इन आरोपों को खारिज किया था। कुछ दिन बाद पायलट और उनके समर्थक विधायक सरकार के साथ वापस आ गए।

अब कि जब विधानसभा चुनाव पास हैं तो भाजपा नहीं चाहती है कि उसपर विरोधी खेमे में तनाव पैदा करने का आरोप लगे। भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी गहलोत सरकार की अस्थिरता को भी मुद्दा बनाएगी। एक पदाधिकारी ने कहा, हमें पूरा विश्वास है कि विधानसभा में हमारी जीत होगी क्योंकि गहलोत सरकार में दलितों के प्रति अत्याचार, अपराध, भ्रष्टाचार और महिलाओं के प्रति हिंसा तेजी से बढ़ी है। इसलिए राजस्थान के लोग दोबारा भाजपा को राज्य में लाने की तैयारी कर चुके हैं।

बता दें कि पिछले तीन दशकों से राजस्थान में कोई भी सरकार लगातार दो बार नहीं बनी है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 200 सीट वाले राज्य में 73 सीटें हासिल की थीं वहीं कांग्रेस को 100 पर जीत हासिल हुई थी।

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