मध्यप्रदेश के कुनो नेशनल पार्क के चीतों को शिकारियों से बचाने के लिए प्रोफेशनल ट्रेनिंग लिए कुत्तों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए पांच साल के जर्मन शेफर्ड को ट्रेनिंग दी जा रही है। इलु नाम के इस जर्मन शेफर्ड को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (ITBP) ट्रेनिंग दे रही है। इलु की ट्रेनिंग राष्ट्रीय कुत्तों के प्रशिक्षण केंद्र में चल रही है। ट्रेनिंग के बाद इलु समेत कई कुत्तों को मध्यप्रदेश के ‘सुपर स्निफर’ दस्ते में शामिल किया जाएगा।
मिली जानकारी के अनुसार इलु के साथ-साथ कुल 6 कुत्तों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इन कुत्तों को अप्रैल से जंगलों में नियुक्त किया जाएगा। अप्रैल तक इलु समेत सभी कुत्तों को ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग के बाद ये कुत्तो आज्ञाकारिता, सूंघने और ट्रैकिंग कौशल में महारत हासिल कर लेंगे।
ट्रेनिंग के दौरान कुत्तों को बाघ और तेंदुए की खाल, हड्डियों, हाथी के दांत और शरीर के अन्य अंगों, भालू पित्त, रेड सैंडर्स और कई अन्य अवैध वन्यजीव उत्पादों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। जिससे कि वो जंगल में किसी भी गैरकानूनी गतिविधि का पता लगाने में सहायक साबित हो सकें।इन कुत्तों को मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु राज्य में नियुक्त किया जाएगा। कुनो नेशनल पार्क में वन विभाग में कार्यरत इलू के हैंडलर संजीव शर्मा ने बताया कि कुत्ते अपने हैंडलर के साथ एक अटूट बंधन विकसित करते हैं। इससे कई काम आसान हो जाते हैं। संजीव शर्मा ने बताया कि इलु उनके लिए उनके बच्चे जैसा है। उन्होंने बताया कि इलु बस दो महीने का था तबसे वो उसे ट्रेनिंग दे रहे हैं।
इलु के हैंडलर संजीव शर्मा ने बताया कि कुत्ते पहले दिन से लेकर रिटायरमेंट के दिन तक एक ही हैंडलर के साथ रहते हैं। उन्होंने बताया कि इलु चीतों का रक्षा नहीं करेगा। चीते अपना रक्षा खुद कर सकते हैं। इलु का काम चीतों को शिकारियों से बचाने का है। वन रक्षकों के साथ राष्ट्रीय उद्यान की परिधि में इलु को तैनात किया जाएगा।
पंचकूला में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल के बुनियादी प्रशिक्षण केंद्र के महानिरीक्षक ईश्वर सिंह दुहन ने कहा कि वे कुनो नेशनल पार्क में तैनात किए जाने वाले कुत्तों को विशेष ट्रेनिंग दे रहे हैं। उन्होंने कहा, “ITBP कुत्ते प्रशिक्षण केंद्र से ट्रेनिंग लिए कुत्तों में वन्यजीव अपराध का पता लगाने की दर बहुत अधिक है। कई सफलता की कहानियां हैं जहां कुत्तों ने शिकारियों की गिरफ्तारी और वन्यजीव प्रजातियों और उनके अवशेषों की बरामदगी में मदद की है।”उन्होंने आगे कहा कि रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने भारत में पहली बार वन्यजीव खोजी कुत्ता दस्तों को तैनात किया था और इससे उन्हें रेलवे नेटवर्क के माध्यम से प्रतिबंधित और दुर्लभ प्रजातियों के वन्यजीवों की तस्करी का पता लगाने में मदद मिली है।
वन्यजीव तस्करी का मुकाबला करने के लिए ट्रैफिक और WWF-इंडिया ने 2008 में देश का पहला वन्यजीव खोजी कुत्ता प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया था। इस कार्यक्रम के तहत कई कुत्तों को प्रशिक्षित किया गया है और वन्यजीव पार्कों में तैनात किया गया है।
वन प्रबंधन ने इससे पहले चीतों की सुरक्षा के लिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के दो हाथियों 41 वर्षीय सिद्धनाथ व 10 वर्षीय लक्ष्मी को बीते एक माह से विशेष प्रशिक्षण देकर पार्क में तैनात किया है। यह दोनों हाथी चीतों की निगरानी के साथ उनके आसपास किसी हिंसक पशु को भटकने से भी रोकेंगे।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के इन दोनों हाथियों को किसी भी वन्य प्राणी को काबू करने, गश्त करने या रेस्क्यू ऑपरेशन में महारथ हासिल है। इन कार्यों के लिए ये विशेष तौर पर प्रशिक्षित हैं। लक्ष्मी व सिद्धनाथ की इन्हीं खूबियों को देखते हुए उन्हें एक पखवाड़े पहले कूनो पहुंचाया गया। यहां इन्हें चीतों को क्वारंटाइन रखने के लिए बनाए गए विशेष बाड़े के समीप तैनात किया गया है।