सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर निर्माण को लेकर पंजाब और हरियाणा की सरकार के बीच चल रहे 26 साल पुराने विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम बात कही है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों को आपस में साझा किया जाना चाहिए इसलिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री आपस में समस्या का समाधान निकालें। वहीं केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा था कि पंजाब की सरकार इस मामले में सहयोग नहीं कर रही है।
जस्टिस संजय किशन कौल, एएस ओका और विक्रम नाथ की बेंच ने कहा कि कोई भी राज्य या शहर यह नहीं कह सकता कि केवल उसे ही पानी की जरूरत है। बड़ा दृष्टिकोण रखते हुए पानी जैसे प्राकृतिक संसाधन को आपस में साझा करना चाहिए। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र की तरफ से कोर्ट को बताया था कि केंद्र सरकार की बैठक में पंजाब सरकार शामिल नहीं होती है। कई प्रयास के बाद भी पंजाब सहयोग नहीं कर रहा है।
साल 2020 में 18 अगस्त को दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री बैठक में शामिल हुए थे और उसके बाद से इस मुद्दे को लेकर कोई बैठक नहीं हुई है। कोर्ट ने कहा कि मीटिंग से नदारद रहने से कोई समाधान नहीं निकल सकता। या तो आप मीटिंग में जाइए या फिर कोर्ट को कोई कड़ा कदम उठाना पड़ेगा। पंजाब राज्य के वकील जगजीत सिंह छाबरा ने कहा कि वे बात करने के इच्छुक हैं लेकिन किसान आंदोलन और कोविड की वजह से यह संभव नहीं हो पाया।बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट साल 2002 में हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया था और पंजाब को एसवाईएल कनाल एक साल के अंदर बनाने का निर्देश दिया था। वहीं साल 2004 में पंजाब की याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने फैसले को कायम रखा और याचिका खारिज कर दी। इसके बाद पंजाब ने कानून पास करके हरियाणा के साथ एसवाईएल नहर परियोजना के समझौते को रद्द कर दिया