Wednesday, October 15, 2025
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अपने जन्मदिन पर चीतों के स्वागत के लिए मोदी पहुंचेंगे कूनो पालपुर नेशनल पार्क

मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में कूनो नेशनल पार्क में जल्द ही अफ्रीकी चीते देखने मिलेंगे। यहां चीतों को लाने की तैयारियां लगातार जारी हैं। चीतों को लाने के लिए श्योपुर में पांच हेलीपैड बनाए जा रहे हैं। इनमें से दो पर अफ्रीकी चीतों को लाया जाएगा जबकि तीन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले के लिए बनवाए जा रहें हैं।इसे लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि चीता 17 सितंबर को कुनो राष्ट्रीय उद्यान आ रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री स्थानांतरण के दौरान मौजूद रहेंगे और पीएम स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को भी संबोधित करेंगे।पांचों चीते विंडहोक (नामीबिया) से जयपुर आ रहे हैं। और फिर वायुमार्ग के माध्यम से कुनो के पालपुर में इन्हें स्थानांतरित कर दिया जाएगा। हालांकि, नामीबिया और भारतीय पर्यावरण मंत्रालय ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि तीन खारिज किए गए चीते भारत आएंगे या नहीं।दक्षिण अफ्रीका से चीतों का आगमन बाद में होगा क्योंकि देशों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होना फिलहाल बाकी है। दक्षिण अफ्रीका के पर्यावरण मंत्रालय की एक टीम मंगलवार को मुनि नेशनल पार्क में जोखिम प्रबंधन योजना के तहत तैयारियों का जायजा लेने आई थी।इस बीच कुनो नेशनल पार्क के वन अधिकारी चीतों के बाड़े में मौजूद केवल तेंदुए को स्थानांतरित करने का काम कर रहें हैं। और साथ ही बाड़े से खरपतवार, कंटीली झाड़ियों, जड़ी-बूटियों को उखाड़ने का काम कर रहें है।वन अधिकारियों ने बताया कि बाड़े में हमनें बबूल से छुटकारा पाया और पिछले साल सर्दियों में कुश घास को संगमरमर घास से बदल दिया। ताकि चीतों के लिए 12 किमी लंबे नरम रिलीज बाड़े को सुरक्षित और पर्याप्त भोजन के लिए बनाया जा सकें। लेकिन अब बेरी, भटकतिया और बाररू वन अधिकारियों के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं। पिछले साल वन अधिकारियों ने इसे काट दिया था और जड़ी-बूटियों को हटा दिया था। इसके कारण पिछले दो हफ्तों से विशेषज्ञों के साथ 50 से अधिक लोग संगमरमर की घास के विकास के लिए जगह बनाने के लिए इन झाड़ियों और जड़ी-बूटियों को हटा रहे हैं।जानकारी के अनुसार इन तीन पौधों का औषधीय महत्व है और आदिवासी द्वारा उपयोग किया जाता है। लेकिन यह शाकाहारी जानवरों के लिए फायदेमंद नहीं है और साथ ही यह शिकार का पीछा करते हुए चीते को घायल भी कर सकता है। वन अधिकारी ने बताया कि एक प्रभारी रेंज अधिकारी ने ढंग से काम नहीं किया,झाड़ियों और जड़ी-बूटियों को हटाने में भ्रष्टाचार किया। इसकी शिकायत के बाद कुछ हफ्ते पहले उन्हें कुनो नेशनल पार्क से हटा दिया गया। लेकिन इसे लेकर संभागीय वन अधिकारी पीके वर्मा ने कहा कि रेंज अधिकारी बदलता है और यह एक दिनचर्या है। वजह भ्रष्टाचार नहीं है।विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि ज्वार के एक हिस्से को काट दिया जाना चाहिए ताकि शाकाहारी जानवर टहनियों को खा सकें। हम जड़ों में पानी भर रहे हैं ताकि सोलनम वापस न आ सके और ज्वार की वृद्धि को एक हद तक कम कर सकें। उन्होंने आगे कहा कि चीता के स्वागत के लिए बाड़ा तैयार है। तेंदुआ जल्द ही बाहर हो जाएगा और बाड़े को अब सोलर इलेक्ट्रिक फेंसिंग से सुरक्षित किया गया है। फोर वॉच टावर में हाई रेजोल्यूशन कैमरे लगे हैं जो चीतों की आवाजाही पर नजर रखेंगे।स बीच, केंद्र सरकार ने 22 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अधिसूचित किया है जिसमें 52 गांव पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र शामिल हैं। अब औद्योगिक गतिविधियां और खनन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। वन विभाग की अनुमति से ही रेस्टोरेंट और होटल खोले जा सकेंगे।बता दें कि देश में 1952 में भारत सरकार ने चीतों को विलुप्त वन्यजीवघोषित किया था। मध्य प्रदेश में 2010 से चीतों को बसाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है की इस साल प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकी चीते देखने का मौका मिलेगा। साल 1981 में स्थापित कुनो नेशनल पार्क 748.76 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है और कुनो नेशनल पार्क डिवीजन का एक हिस्सा है जो 1235.39 वर्ग किमी के क्षेत्र को कवर करता है।श्योपुर-शिवपुरी खुले जंगल का हिस्सा है। समतल जमीन वाले इस अभ्यारण में इंसानों की किसी भी तरह की बसाहट नहीं है। इसके अलावा एशियाई शेरों को प्रदेश के कुनो में लाने के असफल प्रोजेक्ट के तहत इस साइट पर पहले से ही बहुत तैयारियां और निवेश किए जा चुके हैं जो कि चीतों के लिए एकदम उपयुक्त है।

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